राम और राम सेतु को लेकर कुछ कथित हिंदूवादी संगठनों ने हायतौबा मचा रखी है। कोर्ट में दाख़िल कर फिर वापस ले लिया गया हलफ़नामा अपनी जगह... और उसमें जाने-अनजाने की गई ग़लती अपनी जगह, लेकिन ऐसा नहीं कि भगवान राम सिर्फ हिंदुओं के राम हैं। वो बाक़ी धर्मों के लोगों के लिए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। इसलिए तहसीन मुनव्वर ने चंद पंक्तियों में अपनी बात रखी है।
"हम दिल से करते हुए एहतराम कहते हैं,
उन्हें हम हिन्द का अब भी ईमाम कहते हैं,
दिलों के बीच बना दे जो प्यार का सेतु...
उस आला ज़ात को भगवान राम कहते हैं।"
दरअसल मुनव्वर ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर इक़बाल की कही बात को आगे बढ़ाने की कोशिश की है। इक़बाल की पंक्तियां हैं...
"है राम के वजूद पर हिन्दोस्तां को नाज़
अहले नज़र समझते हैं उनको ईमाम-ए-हिन्द"
एक तरफ मुसलमानों की ऐसी भावनाएं और दूसरी तरफ करुणानिधि जैसे हिंदुओं का बयान कि राम ने कहां से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की ताकि ऐसा पुल बना सकें... । भावना का महत्व है या अपना फ़ायदा... आप ही तय कीजिए।
राम राम।
Tuesday, September 18, 2007
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3 comments:
भाई राजनेता तो वही कहेगा जिसमें उसका लाभ हो. एक नजर इधर भी
http://iyatta.blogspot.com/2007/09/blog-post_17.html
आप भी कहाँ इन मौका परस्त नेताओं की बात दिल से लगा बैठे.
मगर अच्छा ही हुआ, मुन्नवर साहब की जानदार पंक्तियां सुना गये.
SHUKRIA BHAI
TEHSEEN MUNAWER
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