Monday, August 25, 2008

भिड़ गए नवाज़ और ज़रदारी

परवेज़ मुशर्रफ़ को गए अभी हफ़्ता भी नहीं हुआ है कि नवाज़ शरीफ़ और ज़रदारी आपस में भिड़ गए। चुनावी राजनीति में दोनों की पार्टियां भिड़तीं पहले भी रही हैं लेकिन जिस मक़सद से वे एक हुईं थी वो अभी आधा अधूरा ही हासिल हुआ है। ऐसे में ये वक्त उनके लिए कुछ क़दम और साथ चलने का था। नौ साल की सैनिक तानाशाही के बाद पाकिस्तान अभी अभी उसे मुक्त हुआ है। लोकतंत्र की नई कोंपल यहां फूटी है और ये वक्त उसके पलने-बढ़ने और मज़बूत होने का है। लोकतंत्र की हिमायती ताक़तों ने अपना बहुत कुछ खोकर इस कोंपल को पूरे पेड़ में तब्दील होने का सपना पाल रखा है।

...जारी

1 comment:

Asha Joglekar said...

Khudgarjee samazdari ko husafar nahi banatee. par waise galati shareef sahab kee bhee nahi hai.