जम्मू जाग जाने का वक्त है। उन लोगों के लिए जिन्होने छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सालों साल से अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति अपना रखी है। आपको ये लाइनें किसी बीजेपी या विश्व हिन्दू परिषद् के नेता का लग सकती हैं। लेकिन यही सच्चाई नज़र आने लगी है। ख़ास तौर पर उन लोगों को जो रोज़ टीवी पर जम्मू के लोगों को सड़क पर उतरते देख रहे हैं। जो जम्मू की महिलाओं को पहली बार उसी तरह से छाती पीटते देख रहे हैं जैसा अब तक सिर्फ कश्मीर में किसी कस्टोडियल कीलिंग के बाद देखने में आता था। जत्थे के जत्थे लोग। पुलिस, आंसू गैस और गोली से जूझते लोग। आप भी देख रहे हैं।
जो लोग जम्मू की हालत के लिए बीजेपी जैसी पार्टी को ज़िम्मेदार ठहराते हैं वो कहीं ना कहीं बीजेपी की मदद करते नज़र आते हैं। एक ऐसी पार्टी जो राम मंदिर के लिए शिला पूजन करा जन भावना को भड़का अयोध्या तक ले गई... वही पार्टी जो हिन्दुत्व का झंडाबरदार बनने का वैसा ही नाटक दूबारा नहीं कर सकी। क्यों। क्योंकि उसका प्रपंच सामने आ गया। फिर वो कभी वो ताक़त नहीं पा सकी। पा सकी होती तो शायद देश में कई जगहों पर वो अपना एजेंडा चला चुकी होती... चला रही होती। गुजरात मोदी के हवाले छोड़ दें तो बाक़ी कहीं हिन्दुत्व फैक्टर बीजेपी के लिए काम करता नज़र नहीं आता। फिर जम्मू में बीजेपी फैक्टर काम कर रहा है तो क्यों।
धर्मनिरपेक्ष और सांप्रदायिक होने के थोथे आरोप प्रत्यारोप को अलग रख तक तथ्यात्मक तौर से देखें तो ज़्यादा वक्त नहीं लगेगा ये जानने में कि जम्मू को जलाने का काम किसने किया... क्यों किया। एक ज़मीन दी गई अमरनाथ श्राईन बोर्ड को। राज्य सरकार का फैसला था। उस सरकार का जो धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाली पार्टियों से बनी थी। कैबिनेट की मंज़ूरी से फैसला होता है। फैसले के पहले या तो किसी ने इसके दूरगामी प्रभाव की गणना नहीं की... या फिर इसके पीछे डोडा, भरदवाह, किश्तवाड़ समेत जम्मू के तमाम... और जम्मू ही क्यों, पूरे देश के हिन्दू तीर्थ यात्रियों के दिल जीतने की मंशा के तहत किया। इस फैसले के बाद जब श्रीनगर जल उठा तो इस फैसले को ग़लत मान लिया गया और बदल दिया गया। सही बात है। जनभावना के सामनों सरकारों को झुक जाना चाहिए। सो वो झुक गई। अब बारी जम्मू की थी। वो सुलगने लगा। नेताओं को लगा ये मोम के बने लोग हैं। जल्द ही पिघल जाएंगे। लेकिन गर्मी इतनी बढ़ गई कि केन्द्र सरकार तक को पसीना आ गया। किसी भी सरकार का जम्मू से ये इस तरह का पहला एक्सोपज़र है। सो समझ नहीं आ रहा क्या करें। सर्वदलीय बैठक कर लिया। चलो सब मिल के चलते हैं। बीजेपी भी चलेगी। जा के क्या करेंगे... शायद पता नहीं। हां... शांति की अपील करेगें। और लोग शांत हो जाएंगे। गोली का डर भी दिखा रहे हैं। फिर ग़लती कर रहे हैं और हिंसा के लिए ज़िम्मेदार जनता पर थोप रहे हैं।
जम्मू वालों के तर्क को कैसे काटेंगे कि क्या कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है। अगर वहां धारा 370 है तो क्या वो जम्मू में नहीं है। अगर जम्मू है तो वैष्णो देवी श्राईन बोर्ड को इतना विस्तार कैसे दिया गया। इतनी सुविधाएं क्यों बनने दी गई। सिर्फ इसलिए कि श्रीनगर ने विरोध नहीं किया या फिर विरोध उनके अख़्तियार में ही नहीं था। जहां था वहां किया और फैसला बदलवा लिया। तो अब वैसी कोशिश ही जम्मू कर रहा है क्योंकि उसे लगता है कि वैष्णो देवी और अमरनाथ दोनों भारत में ही है। राज्य के एक इलाक़े के लोगों को आंदोलन के ज़रिए सरकार को झुकाने का हक़ है तो दूसरे इलाक़े के लोगों का ये हक़ कोई कैसे छीन सकता है। ये बहाना मत बनाइए कि ये संवेदशील मामला है। ... जारी
Thursday, August 7, 2008
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5 comments:
what happened to the other one?
बहुत ही विचारोत्तेजक लेख लिखा हैं आपने. बिना किसी पूर्वाग्रह के. आज इसी तरह के पत्रकारिता की जरूरत हैं. देश के हुक्ममरानों ने विगत २० सालों में जम्मू में हिन्दुओं के साथ जिस तरह का भेदभाव किया हैं, आज उसी का प्रतिसाद सामने आ रहा हैं.
एकबार फिर वक्त आ गया है जब आम जनता को स्वतंत्रता संग्राम में कूदना होगा. इन चंद छद्म धर्म-निरपेक्ष ताकतों के खिलाफ. ये देश को तोड़ना चाहते हैं. टुकड़ों टुकड़ों में बांटकर खाना चाहते हैं. तुष्टिकरण की नीति अपनाकर देश को फिर से विभाजित करना चाहते हैं. जागो देश वासियों, इन देश के शत्रुओं को पहचानों.
mushkil hai bhai.jo pak ka jhanda lekar aandolan karega to sarkar ko jhookna hi hai.kashmiri pandito ka sab kuchh to chhin hi gya hai ek bharat ka jhnda hai ab we lathi goli se jyada ke hakdar nahi.netao ne jameer bech diya hai.bhajpa nahi rahegi to laloo,mulayam, pashwan ki dookane kis nam per chalegi.ye bhajpa ko bnaye rakhge.
DOST_---agnishekhar ka. varansi
mushkil hai bhai.jo pak ka jhanda lekar aandolan karega to sarkar ko jhookna hi hai.kashmiri pandito ka sab kuchh to chhin hi gya hai ek bharat ka jhnda hai ab we lathi goli se jyada ke hakdar nahi.netao ne jameer bech diya hai.bhajpa nahi rahegi to laloo,mulayam, pashwan ki dookane kis nam per chalegi.ye bhajpa ko bnaye rakhge.
DOST_---agnishekhar ka. varansi
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