जवाब मिल गया है। अल्टीमेट ख़ुलासा हो गया है। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि बेनज़ीर की हत्या हादसे में हुई... गोली या धमाके से नहीं। लेकिन शायद उन्हें भी ये बात नहीं पता कि बेनज़ीर की हत्या महज़ एक रोज-रेज का मामला है! रोड रेज नहीं समझते? अरे सड़क पर चलते हुए दो वाहन चालकों के बीच जब को पंगा हो जाए। फिर तू तू मैं मैं होते होते नौबत यहां तक पहुंच जाए कि वे एक दूसरे की जान लेने पर उतर आएं। और जो ले सकता है वो सामने वाले की जान ले ले! एक्ज़ाक्टली यही हुआ है रावलपिंडी में! आपको नहीं पता! तो सुन लीजिए।
दरअसल हुआ ये कि जब बेनज़ीर अपना भाषण ख़त्म कर गाड़ी में बैठीं तो पीछे से मोटरसाइकिल सवार दो-तीन नौजवानों ने साइड लेने के लिए उन्हें हार्न दिया। बेनज़ीर उनकी अनदेखी कर अपनी नेतागिरी में जुटी रहीं। उन्होने ने सोचा कि वो प्रेसिडेंट मुशर्रफ को चुनौती दे रही हैं। भला उनसे कौन टकरा सकता है! लेकिन मोटरसाईकिल पर सवाल नौजवान जल्दी में थे। बेनज़ीर के काफ़िले की धीमी रफ्तार उन्हें नहीं भा रही थी। उन्होने बार बार हार्न दिया। पर लोकतंत्र बहाली की मदहोशी में डूबी बेनज़ीर ने उन्हें हर बार अनसुना कर दिया।
फिर विवश होकर उन नौजवानों में से एक ने पिस्तौल निकाल ली। दूसरे ने भी जोश में निकाल ली। और फिर फ़ायर कर दिया! इसमें आश्चर्य की क्या बात है! दिल्ली की सड़कों पर तो ऐसा होता रहता है। तब आपको आश्चर्य नहीं लगता! अब फ़ायर कर दिया तो कर दिया! भई ये पाकिस्तान का गन कल्चर है। हम आप क्या कर सकते हैं! एक ने फ़ायर किया तो दूसरे से रहा नहीं गया। उसने फिदायीन बटन दी दबा दी। पाकिस्तान में आपको बहुत सारे शख़्स आपको ऐसे बटन के साथ घूमते मिलेगें। ये छोटी-मोटी बातों पर भी ख़ुद को उड़ा देने की क़ाबिलियत रखते हैं। ये बात कई साल बाद मुल्क लौटीं बेनज़ीर नहीं समझ पायीं। आने के पहले पाकिस्तान का ट्रैफ़िक रुल बुक तो पढ़ लेना था! साइड दे दिया होता!
पर जब आप सड़क पर चलते हैं तो एक भ्रम भी पाले चलते हैं कि आप ही सही चल रहे हैं। और आपको इसका नुक्सान भी उठाना पड़ता है। तो जब बेनज़ीर ने साइड नहीं दी तो मोटरसाईकिल सवार नौजवानों ने ... जो जल्दी में थे... सोचा बेनज़ीर को भी साथ लिए चलते हैं! सो उन्होने ख़ुद के साथ साथ बेनज़ीर को भी उड़ा लिया! बस इतनी सी बात है और आप मीडिया वाले पता नहीं क्या तिल का ताड़ बना रहे हो! पाकिस्तान की सरकार को भी बताईएगा। कहां वो हादसा या हक़ीकत के चक्कर में पड़ी है। हमारे यहां कि होनी-अनहोनी सीरियल की तर्ज़ पर। इस रोड-रेज मामले की रावलपिंडी के लोकल थाने में प्रोपर एफआईआर करायी जाए।
Saturday, December 29, 2007
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5 comments:
क्या लिखे हो बाबू. बिल्कुल सटीक.
क्या सही बात कर हैं आप ! लगता है पाकिस्तान जाकर वहाँ के ट्रैफिक रूल अच्छे से सीख आए । काश बेनजीर जी भी आपकी तरह सबसे पहले यही सीखतीं ।
घुघूती बासूती
bat 100 fisdee jam rahee hai.
उम्दा...केवल इन्हीं शब्दों से पाक सरकार की संवेदनहीनता ही व्याख्या की जा सकती है...बहुत बढि़या...
Oh God! Hindustaan Roadways to tha hi danger...Ab Pakistaan ke road per bhi waaat lagni shuru ho gayi..Wah!...kaha mar gaye al-quida ke bashinde..
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