यही नारा लग रहा था दिल्ली में लालकृष्ण आडवाणी के घर पर। चुनाव नतीजो की तस्वीर जैसे ही साफ हुई...बीजेपी समर्थक टिड्डी दल की तरह निकल आए। उन्हीं के बीच नारा लग रहा था... जीत गए मोदी... कांग्रेस ने खो दी...। इस पर पहले ही कागद कारे कर चुका हूं। कुछ लिखने का मन नहीं कर रहा। बस इतना कि अब तो मोदी को स्वीकारना ही होगा। सिर्फ गुजरात में ही नहीं...शायद पूरे देश में। हिंदुत्व का भूत बलबती होकर लौट आया है। पार्टी इसे आम सभा चुनाव में भी भुनाने में क़सर नहीं छोड़ेगी। संकेत मिल रहे हैं। आडवाणी ने कह दिया है... ये जीत राष्ट्रीय राजनीति का टर्निग प्वाइंट है।
दूसरे संकेत भी हैं। जब पार्टी ने लालकृष्ण आडवाणी को अपना प्राइममिनिस्टीरियल कैंडिडेट घोषित किया तो वेंकैय्या नायडू ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि मोदी सिर्फ गुजरात के नेता हैं। उनके केंद्रीय राजनीति में आने का कोई प्रस्ताव नहीं है। आज जब मैंने राजनाथ सिंह के कैटेगोरिकली पूछा कि क्या मोदी सिर्फ गुजरात के नेता हैं...उनकी इस जीत के बाद क्या पार्टी देश भर में उनका इस्तेमाल नहीं करेगी... थोड़ी खीज़ और मजबूरी के साथ राजनाथ बोले...वे पहले से हैं और रहेंगे...
बहुत पेंचदगियां हैं जो आसानी से समझी जा सकती हैं। बीजेपी के भीतर भी और पूरे भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में भी। लेकिन फिलहाल तो एक ही तथ्य है। वो ये कि मोदी जीत गए हैं। वो सोचें जो मोदी के बिना की सोचने की ज़िद पाले बैठे हैं...कि आखिर क्यों जीत गए मोदी और क्यों कांग्रेस ने खो दी...
Sunday, December 23, 2007
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3 comments:
Satik kaha aapne, aapki baat nahut door tak jani chahiye, ek website hai samay mile to dekhiyega www.GujaratVictory.com
बोझिल मन से ही सही लेकिन अब मिडिया को स्वीकार करना ही होगा कि मोदी ही गुजरात के नेता है।बल्कि अब तो राष्टीय नेता है बीजेपी के.... रवीश जी ने तो मोदी की खाल ही उतार कर रख दी थी चुनाव से पहले अपने ब्लाग पर....
अभी थोडे समय पहले ही मॆं आपके मित्र पत्रकारॊं का ब्लाग देख रहा था, वहां अब कहा जा रहा रहा हॆ कि जीता तो हिटलर भी था. कमाल हॆ भाई मोदी जीते तो मुसीबत, हराने के सभी उपाय तो मीडिया के एक प्रायोजित वर्ग ने खूब कर लिये पर अब अगर मोदी जीत गये तो उन्ही मीडिया वाले समाज सुधारकों में चारॊं तरफ़ हा हा कार मच हॆ.यानि कि चित्त भी मेरी पट्ट भी मेरी अण्टा मेरे बाप का. एक सज्जन बडे ही उदास दिख रहे हॆं कि हाय देश का क्या होगा. पर ऒ मेरे मासूम मित्र जरा सॊचो सॆकडों साल मुगलों ने इस देश पर शासन किया क्या वे इस देश की सनातन संस्कारॊं को नष्ट कर सके.....नही. अंग्रेजों ने भी इस देश पर शासन किया क्या वे इस देश की सनातन संस्कारॊं को नष्ट कर सके......नही .
कुछ भी कहने सुनने से पहले आज से लगभग सॊ बरस से भी पहले स्वामी विवेकानन्द जी, शिर्डी वाले साईं बाबा की शिक्षाऒं को भी देख लें.....जो निश्चित रूप से महान समाज सुधारक अम्बेदकर जी से पचासो बरस पहले एकता ऒर सामाजिक समानता की राह दिखा गये थे...... लेकिन अफ़सोस सभी अपनी अपनी सुविधाऒं के अनुसार लोगों को इस्तेमाल करते हॆं
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