Wednesday, January 23, 2008

ज़्यादातर हिन्दी ब्लॉगर सिर्फ लिखने के लिए लिखते हैं...

आई एम सॉरी। पर ये सच है। ज़्यादातर हिन्दी ब्लॉगर सिर्फ लिखने के लिए लिखते हैं। चाहूं तो कई ऐसे ब्लॉग या पोस्ट के लिंक लगा सकता हूं जिससे ये साबित कर सकूं। पर नहीं चाहता। एक तो इतनी उर्जा खर्च करना और दूसरा, उनको लाल कपड़ा दिखाना...। कई उदाहरण तो अपनी पोस्ट पर आए कमेंट से दे सकता हूं। मैंने क्या लिखा, बिना उसकी प्रकृति जाने टिप्पणी कर दी गई... 'बहुत खूब...ऐसे ही लिखते रहिए', जबकि उस पोस्ट के ज़रिए मैं अपने ब्लॉगर साथियों से कुछ जानना चाहता था। कुछ सुधार चाहा था। अरे भई... अरे पढ़ने का वक्त नहीं है तो मत पढ़ो... पर कम से कम बिना पढ़े टिप्पणी तो मत करो! टिप्पणी के ज़रिए फीड बैक का इंतज़ार सभी ब्लॉगरों को रहता होगा... मुझे भी... लेकिन ऐसी बेतुकी बातों का नहीं। और सिर्फ एक उदाहरण के ज़रिए मैं कोई संदेश नहीं दे रहा। बल्कि ऐसा कई मौक़ो पर देखा है। कईयों के ब्लॉग पर।

आप किसी अच्छे अंग्रेज़ी पोस्ट को उठा कर देख लें। कमेंट्स की लाईन लगी होती है... क्यों? क्योंकि वहां अच्छा लिखने वाले पढ़ते भी हैं और अच्छा पढ़ने वाले लिखते भी हैं।

अब आप में से कईयों की बारी है। वो पूछ सकते हैं कि मैं कितने कमेंट्स देता हूं। बहुत कम। क्यों? क्योंकि ऐसा कम ही लिखा मिलता है जिस पर कमेंट करने का दिल करे।

तार्किक प्रत्युत्तरों और इमोशनल आउटब्रस्ट्स के इंतज़ार में

आपका

16 comments:

कजरी ठुमरी said...

'बहुत खूब...ऐसे ही लिखते रहिए',

ghughutibasuti said...

क्या कविता लिखी है आपने ! मन खुश हो गया । और सच कहते हैं मिया, आपकी उर्दु तो काबिले तारीफ है । ऐसे ही लिखते रहिये । हमें तो मजा आ गया ।
घुघूती बासूती

eSwami said...

सही कहते हैं आप!
मुद्दे की बात ये है की वे लिख रहे हैं पहले तो लिखते भी नहीं थे फ़िर इन्हीं मे से कुछ बेहतर लिखने लगेंगे, कुछ बोर होंगे हिंदी ब्लागिंग में अभी हम संख्या बढाने के दौर में हैं गुणवत्ता के बारे में शिकायत करने के दौर में नहीं है! देखिये इस पोस्ट से ही आपने स्वयं के लिये एक नया स्तर प्राप्त कर लिया है!

उमाशंकर सिंह said...

शुक्रिया ईस्वामी जी... आपने ने अपने आसपास के किसी स्तर तक पहुंच जाने के लायक मुझे समझा...

उमाशंकर सिंह said...

वैसे ईस्वामी जी, अभी आपके प्रोफाईल पर गया। आप कहीं युनाईटेड स्टेट्स से लिखते हैं। कई तरह की जानकारियां थी... पर आपके लिंग, उम्र, चेहरे-मोहरे के बारे में कुछ नहीं। आख़िर आप मुंह छिपा कर क्यों लिखते हैं...ऐसा क्या बुरा किया है आपने या क्या बुरा करने की मंशा पाले हुए हैं? खुल कर सामने आइए ना!

जेपी नारायण said...

लिखने दीजिए भाई। खूब लिखने दीजिए। बाजारवाद के मौजूदा दौर में यही सब तो ठिकाने बचे हैं, ये जितना फूले-फलेंगे, दुनिया बेहतर होगी। बस कभी-कभी कमेंट्स देते रहें। सब ठीक होता चला जाएगा। अभी इस मंच को संपन्न होने दीजिए। बाकी चीजें भी ठीक होती चली जाएंगी। हर कोई कभी-कभी सामान्य, कभी-कभी बेहद अच्छा लिख जाता है।

अजित वडनेरकर said...

.....?

eSwami said...

मेरा वो ब्लागर प्रोफ़ाईल पुराना है भाई.
हिंदिनी [hindini.com] पर घर है.

बहुत से ब्लागर्स कई कारणों से छद्मनाम रखते हैं. अन्य कारणों के अलावा इससे व्यावसायिक और व्यक्तिगत सरोकारों को सहज ही अलग-अलग रखने में मदद मिलती है.

आज कई कंपनियां ब्लागर्स को अपने काम में रमा हुआ नहीं मानतीं क्योंकी ये समय खपाऊ शौक है. कुछ दूसरी हैं जो एक संभावित कर्मचारी के बारे में इसी आधार पर कयास लगाती हैं की इन्टर्नेट पर उसकी गतिविधियां क्या हैं.

वहीं दूसरी ओर ब्लागिंग ने ही कई लोगों को प्रसिद्धी दिलवाई है - मेरी प्राथमिकताओं मे शामिल नही है.

आशा है समाधान हुआ होगा.

Unknown said...

कों खां, किस के शेर चुरा कर ठेल रिए हो. शेरो शायरी का शौक है तो अपने लिखो ना. वैसे ये शायरी आपके बस की बात नहीं कुछ और करो.

Unknown said...

आपकी लघुकथा पसंद आई. अच्‍छा लिखते हैं.. इसी प्रकार लिखते रहें.....

नितिन | Nitin Vyas said...

बढिया, लिखते रहिये।

अजय रोहिला said...

लोगों की नब्ज़ पकड़ना एक कला है। यह हर किसी के बस की बात नही है। ब्लागिंग और कमेंट देना आजकल फैशन हो गया है। सही कहा हर किसी लेख पर कमेंट देना हर किसी के लिए संभव नही है या युं कहे की मन नही करता। आपका ब्लाग चुनिदां ब्लाग्स में से एक है जहां से अच्छी जानकारी मिलती है। चाहे कश्मीर के अनुभव हो या इस्लामाबाद अपडेट..

PD said...

'बहुत खूब...ऐसे ही लिखते रहिए'
अच्छा हुआ जो आपने इसे लिख दिया था.. नहीं तो इसे भी टाईप करना परता.. :D

Sanjeet Tripathi said...

वाह!!
क्या शब्दजाल बुना आपने ;)

हरिमोहन सिंह said...

वाह वाह
आप चाहते क्‍या थे है

रवि रतलामी said...

लाल कपड़ा दिखा ही दिए होते, फावड़े को फावड़ा कह ही दिए होते...

पर, फिर, ब्लॉग तो ब्लॉग है... ऐसे ही लिखते रहिए... :)