Wednesday, January 23, 2008

सर्दी दूर करने का मेरा तरीक़ा!

सही में कंपकपा देने वाली है इस बार दिल्ली की सर्दी। टीवी पर सुनता हूं तो और सर्दी लगती है। इस सर्दी को काटने के लिए पूरे उत्तर भारत के लोग तरह तरह के इंतज़ाम कर रहे हैं। कोई अलाव सेंक रहा है तो कोई लिहाफ से बाहर नहीं निकल रहा। मैंने भी सर्दी कम करने के लिए एक तरीक़ा निकाला। पुराने एल्बमों से सात आठ साल पहले की तस्वीरें निकालीं। कश्मीर में बर्फबारी के दिनों की। जब मैं वहीं हुआ करता था। बर्फ के बीच काम करता। बर्फ के बीच खेलता। मज़ा आता था। कभी गुलमर्ग में विंटर टूरिज़्म पर स्टोरी करता तो कभी सोनमर्ग स्नो पर वाइल्ड लाईफ के पदचिन्हों का पीछा करता उनकी तस्वीर उतारने की कोशिश करता, या फिर कभी मच्छोई ग्लेशियर पर जाकर विंटर वार फेयर ट्रेनिंग पर डॉक्युमेंटरी बनाता। एक बार तो जोज़िला दर्रे पर -15 डिग्री सेल्सियस पर नंगे बदन फोटो खिंचवाने की ज़िद कर बैठा। खिंचवा भी लिया। दिखा नहीं सकता। लेकिन कुछ तस्वीरें आपके सामने कर रहा हूं। शायद इसे देख कर सर्द इलाक़ों में रहने वाले साथियों की सर्दी भी कुछ कम हो जाए!

4 comments:

Sanjeet Tripathi said...

सही है, मतलब कि धुनी हो एक नंबर के

अजय रोहिला said...

बहुत दिनों के बाद फिर से कश्मीर आया है। देखकर अच्छा लगा। दरअसल आपकी कश्मीर यातरा से मुझे भावनात्मक लगाव है। आप समझ सकते है। आपसे एक गुजारिश है। अगर संभव हो... क्या आप उस समय को फोटोग्राफ मुझे भेज सकते है? संजय भाई के साथ वाले।

उमाशंकर सिंह said...

अजय भाई, मेरे कश्मीर के दिनों में संजय ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी। ख़ासतौर पर चुसूल यात्रा में उसका साथ अविस्मरणीय है। उसके बिना कश्मीर की मेरी कहानी पूरी ही नहीं होती। जल्द ही संजय की तस्वीरें भी ब्लॉग पर नज़र आएंगी। अलग से मेल भी कर दूंगा।

शुक्रिया

अजय रोहिला said...

शुक्रिया।