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खैर। इस मंदिर की हालत ठीक नहीं। वजह आसपास हिंदू आबादी का नहीं होना भी है। ये पाकिस्तान के चकवाल ज़िले में आता है। पवित्र ननकाना साहिब जैसे इसे भी विकसित किया जा सकता था। लेकिन इसमें अपने देश को ही बड़ा रोल निभाना होता। पर ऐसा नहीं किया गया। सबसे बड़ी बात ये है कि चाहे रख
-रखाव ठीक ना हो... मंदिर की इमारतें बुलंद तो हैं... बाबरी मस्ज़िद की तरह गिरा तो नहीं दी गई हैं...। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व ये है कि ये महाभारत काल की है। यहां के गाइड सलमान साहब ने हमें बताया कि पार्वती की मौत के समय जब शिव जी रोए तो जो आंसू बहे उससे पुष्कर और कटासराज दोनों जगहों पर कुंड का निर्माण हुआ। यानि भारत में जो महत्व पुष्कर का है... हिन्दू धार्मिक आस्था के लिहाज़ से वही महत्व कटासराज मंदिर का भी है। (तस्वीर में श्रीलंका की पत्रकार रुआंती परेरा और शशिका नज़र आ रही हैं...)
अगली बार.... मलोट के शिव मंदिर और नंदना के विष्णु मंदिर की बात और वहां तक पहुंच सकने की पूरी दास्तान।
4 comments:
दिलचस्प!!
यह पहली बार मालूम चला कि पुष्कर जैसा ही कुंड कहीं और भी है।
अडवाणी जी हैं तो आखिरकार एक राजनैतिक व्यक्तित्व और आज के राजनैतिक व्यक्तित्व को अपनी खुद की कही कितनी बातें याद रह पाती हैं।
अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा!
बिल्कुल। कटासराज और कुंड पर एक डॉक्युमेंटरी भी शूट कर चुका हूं जिसका एक छोटा हिस्सा एनडीटीवी पर दिखाया जा चुका है। कोशिश करुंगा उसे आप सबों तक पहुंचा सकूं।
उमाशंकर सिंह जी, भाई आप का टी वी हेमारे यहा तो चलता नही, आप ही कभी यहां लिन्क देदे तो हम भी देख लेगे,ओर आप को पहले स्रे ही धन्यवाद बोल देते हे
आप अच्छी जानकारी दे रहे हैं । अगले अंक की प्रतीक्षा रहेगी ।
घुघूती बासूती
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