Saturday, January 26, 2008

विनोद दुआ और बरखा दत्त को पद्मश्री सम्मान

यूं तो ऐसे सम्मान कईयों को मिले हैं। लेकिन इन दोनों को पेशेगत तौर से नज़दीक से जानता हूं इसलिए बताने का मन कर रहा है। दुआ साहब। सम्मान मिलने के थोड़ी देर बाद ही उनसे मिलना हुआ। मुझ से बातचीत में उन्होंने कहा कि जिस ज़िम्मेदारी के साथ वो नेताओं को उनका रास्ता बताते रहे हैं... सरकार को चेताते आए हैं... वो जारी रहेगा। सम्मान जनता की तरफ से मिलते रहें हैं। मिलते रहेगें। ....मतबल वही तल्खी। वही ठसक भरी पत्रकारिता। वो 34 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं... जितनी मेरी उम्र है। उनके सम्मान में भी कुछ बोलना सूरज को दीपक दिखाने जैसा होगा।

बरखा। कश्मीर भूकंप के बाद अभी हाल ही में बरखा के साथ पाकिस्तान में साथ काम करने का मौक़ा मिला। कोई तब्दीली नहीं। काम को लेकर वही जुनून... जो आपको कभी स्टार समाचार के ज़माने में नज़र आया होगा... करगिल के एक बंकर से। हलो... मैं बरखा दत्त बोल रही हूं...! बरखा अब भी वही है। ज़िंदगी में घट रहे हरेक फ्रेम को वो कैमरे में क़ैद चाहती हैं। रिपोर्टिंग के लिहाज़ से। कुछ भी छूटना नहीं चाहिए। हर शब्द के साथ साथ उनके बीच के अन्तराल का भी अपना अर्थ होता है... लिखने बोलने में। पर साथ ही टीवी में हर फ्रेम की तस्वीर का भी अपना महत्व होता है। एक टीवी पत्रकार के तौर पर बरखा हर फ्रेम को जीतीं हैं। सेकेंड और मिनट उनके लिए बहुत लंबे होते हैं। शायद अर्थ को अनर्थ कर जाने वाले। इसलिए ज़्यादा धारदार रिपोर्टिंग कर पाती हैं। ये सम्मान शायद उनके जुनून और काम की एक स्वभाविक स्वीकारोक्ति है।

दोनों को हमारी बधाई!

6 comments:

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

इन दोनों को बधाई! यह समाचार है.

लेकिन इस बार मीडिया के महारथी ज्यादा शामिल क्यों हैं? इसका अर्थ यह न लेना चाहिए कि इन्होने अच्छा काम नहीं किया; बल्कि इस अर्थ में कि पता नहीं जो लोग ज़्यादा काम कर रहे हैं उन्हें मीडिया सामने नहीं ला पा रहा. ऐसा होगा तो इसका वही नतीजा होगा मेरे प्यारे कि जैसे भाजपा के राज में मानो यज्ञों का तांता लग गया था. और अब अगर भाजपा शासन में आयी तो इसका अश्वमेधयज्ञ तक पहुँचना कोई टाल नहीं सकता.

बेहतरीन पत्रकार होने के नाते अपने को अयोग्य समझकर आख़िर पद्मश्री अवार्ड ठुकराने का साहस भी तो किसी को दिखाना चाहिए, वरना यह समझा जायेगा कि इस उम्दा पुरस्कार के लिए लोबिंग हुई है. या यह समझा जाए कि सरकार को जो रोशनी में आता है वही पद्म पुरस्कार योग्य है. तब तो यह बहुत ही चिंताजनक बात है.

Dr Parveen Chopra said...

आप बिल्कुल दुरूस्त फरमा रहे हैं,उमा शंकर जी। अपने काम के प्रति जुनून होना बेहद लाज़मी है, हम कामना करते है कि आप भी आने वाले समय में बेजुबान की जुबान बन कर ऐसी ही बुलंदियों को छुएं। शुभकामनाएं।

Anonymous said...

इन दोनों को और राजदीप को भी हमारी तरफ से बहुत बहुत बधाई।

Sanjay Tiwari said...

निसंदेह वे हकदार हैं.

Sanjeet Tripathi said...

बधाई दोनो को!

sanjay patel said...

उमाशंकर भाई....नमस्कार !
विनोद भाई को पद्मश्री की बधाई.
क्या किसी आयोजन में विनोद भाई और आपको साथ साथ इन्दौर बुला सकता हूँ.एक अच्छी श्रोता वर्ग के बीच आपको सुनना चाहेंगे.आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा.