Tuesday, November 6, 2007

पाकिस्तान में इमरजेंसी की हमारी पहली रात

तारीख ३ नवम्बर 2007

....पाकिस्तानियों के लिए इमरजेंसी कोई नई बात नहीं है. इसका अनुभव इन्हे कई बार पहले भी हो चुका है. इसलिए जो भी टीवी के सामने बैठे है, उनके चेहरे को पढ़ना मुश्किल नहीं. पर जुबां खामोश हें. बीच से एक आवाज आती है...फिर १७ साल पीछे चला गया मुल्क! फिर लम्बी खामोशी. रायल टीवी अपडेट्स आ रहें हैं. गिरफ्तारियों की ख़बर है. सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन के प्रेसिडेंट ऐह्तेजाज़ हसन को गिरफ्तार किया जा चुका है. कई और न्यायाधीश कार्रवाई की ज़द में हैं.

सबों को इंतज़ार हैं मुशर्रफ के संबोधन का. ख़बर आती है वो रात ११ बजे बोलेंगे.

अब तक तनाव ने अपनी जगह बना ली है. वो चेहरों पर नज़र आने लगा है. एक माँ फ़ोन पर शायद अपने बच्चे के कह रही है..." मोबाइल में बैलेंस बढ़ा लो. आटा ले आना. मैं शायद आज पहुँच न पाऊं. इस्लामाबाद से डेढ़ सौ किलोमीटर पीछे हूँ. वहाँ पहुँचने के रास्ते बंद कर दिए गए है. पर चिंता मत करना. मैं ठीक हूँ. अब्बू भी ठीक हैं..." इन शब्दों का अंतर्विरोध आप भी समझ सकते हैं. माँ को बच्चे की चिंता है. ख़ुद के लिए चिंतित होने को नही कह रही. मतलब साफ है. या तो बच्चे के लिए भी चिंतित होने की ज़रूरत नहीं...या फिर ये माँ भी सुरक्षित नहीं. बेहतर ये ही समझ सकते है.

काफी देर से मेरा मोबाइल नही बजा है. लगा कहीं बंद तो नहीं हो गया. देखा तो चालू था. पाकिस्तानी समय के हिसाब से ६ बज कर ४८ मिनट पर मुनीर जी का मैसेज था. EMERGENCY IN THE COUNTRY. अब तक सभी साथियों के फ़ोन घनघनाने लगे थे. लाहौर से सदफ के घर से फ़ोन था. घर के लोग चाहते थे कि वो आज ही लौट आए. शहराम के घर भी चिंता थी. सभी बोल-भरोस दे रहे थे. लौटने का ये सही वक्त नहीं था.

जारी...

8 comments:

Rajeev (राजीव) said...

आप अभी वहाँ पर ही हैं क्या?

उमाशंकर सिंह said...

jee bilkul yaheen hun.

Anonymous said...

aage ka intejaar rahega umashankarji

Sanjeet Tripathi said...

"…लौटने का यह सही वक्त नही था"

दिक्कत यह है कि पाकिस्तान मे "लौटने" का सही वक्त कौन सा है किसी को खबर ही नही शायद!!

Rakesh Kumar Singh said...

बढिया है. पर अपना ख़याल रखिएगा. मुझे पुरा विश्वास है कि वहां आपको किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. लाहौर के लोग बहुत प्यार करने वाले हैं.

आलोक said...

उमाशंकर जी, इंटरनेट पर कोई रोक है क्या?

Udan Tashtari said...

सुनाते रहें, मन लगा है. अपनी खैरियत का विशेष ध्यान रखें.शुभकामनायें.

उमाशंकर सिंह said...

nahee bhai, koi rok kam se kam mujhe to nazar nahee aa rahee. main pak main baitha aap loaon tak apnee baat pahunchaa rahaa hun. shukria