Tuesday, November 6, 2007

पाक इमरजेंसी के शुरुआती लम्हें

....ये फ़ोन हमारे राजनीतिक सम्पादक मनोरंजन भारती का है. कह रहें हैं की वहाँ इमरजेंसी के हालात हो गए है. साथ में हिदायत कि अपना ख्याल रखना और जो भी करना सोच समझ कर करना.
हम एक ऐसे इलाके मैं हैं मोबाइल सिग्नल भी ठीक से काम नही कर रहा. सूचना का और कोई जरिया नहीं. अमीन ने बताया कि तमाम प्राइवेट चैनल को ऑफ़ एयर कर दिया गया है. जानकारी ये भी आ रही है कि आधिकारिक ऐलान नही हुआ है. राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ़ मुल्क को कभी भी संबोधित कर सकते हैं.

तभी दिल्ली ऑफिस से फ़ोन आया. फोनो के लिए. कार्यकारी संपादक संजय अहिरवाल एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं. उनको मेरी चिंता है. जानकारी के लिए ऑफिस की मुझ पर कोई कोई निर्भरता नही. वैसे भी पाकिस्तान से निकलने वाली जानकारी सीधी और ज्यादा तेज़ी से दिल्ली पहुँच रही है. ऐसा होता रहा है.

बातें करते हुए मैं मलोड के मन्दिर की तस्वीरें भी लेता जा रहा हूँ. फीचर स्टोरी के लिए. हार्ड ब्रेकिंग न्यूज़ से अलग जो सामने हैं. ज़रूरत और मौक़ा अति-उत्साह दिखाने का नही है. खैर... शाम घनी हो आयी है. अँधेरा हो चुका है. रात लम्बी होने के आसार हैं. हम वापस कल्लर-कहार की तरफ़ चल पड़े हैं.

क़रीब घंटे भर के इस सफर में मुद्दा मुल्क के सियासी हालात का ही छाया हुआ है. थोड़ी देर पहले तक हालात अलग थे. सुबह क़रीब सात बजे जब से चले थे ततो कोई भी सियासी बात नही कर रहा था. बस में हिन्दी गाने बज रहे थे और सभी नाच रहे थे. लाहौर से इस्लामाबाद को जोड़ने वाले मोटर-वे पर बस १०० किलोमीटर/घंटे से भी तेज़ रफ़्तार से चल रही थी. पाकिस्तान के मोटर-वे की तुलना भारत के एक्सप्रेस-वे से की जा सकती है. लेकिन उससे ज़्यादा तरतीब. नियम-कायदों की ज़्यादा सख्ती. लेकिन सड़क और सियासत में फर्क होता है.

शाम के सात बज चुके हैं. हम कल्लर-कहार के गेस्ट हॉउस पहुँच चुके हैं. सारी निगाहें टीवी सेट पर जमी हैं. तमाम प्राइवेट चैनल ऑफ़ एयर है. सिर्फ़ रायल चैनल दिख रहा है.

जारी...

1 comment:

Sanjeet Tripathi said...

चलिए देखते हैं कि रायल चैनल क्या दिखा रहा है।