अभी अभी पता चला है कि उमाशंकर सिंह नाम का एक शख्स अखबारों में छपे मेरे लेखों को अपना बता फ़ाइलों में लिए फिर रहा है। दिल्ली में अख़बार के दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है। नौकरी की तलाश में। ख़ासतौर पर जनसत्ता के संपादकीय पृष्ठ पर छपे पाकिस्तान मामलों पर मेरे लेखों को बेझिझक वो अपना बता रहा है। क्योंकि यहां लेख के साथ लेखक का एक पंक्ति में दिया जाने वाला परिचय नहीं होता। ख़ैर। अगर मेरे लेखों से उसकी रोज़ी रोटी का जुगाड़ हो जाता है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं शायद खुशी ही होगी। लेकिन डर मेरे नाम के ग़लत इस्तेमाल का है। इसलिए सूचना यहां चिपका रहा हूं।
एक पेशे में संयोगवश एक जैसे कई नाम हो सकते हैं। हर कोई अपने फन का माहिर हो सकता है। लेकिन दूसरे का लिखा अपना बताना अपराध है। अगर आप में से किसी से उमाशंकर सिंह नाम का ये शख़्स टकराता है तो कृपया मुझे इत्तला दें। मेरा मोबाईल नंबर है 9811021470। वैसे, जैसे ही इस शख्स की तस्वीर और उसका बायोडाटा हासिल होता है, उसे मैं अपने ब्लॉग पर डालने वाला हूं।
Friday, February 22, 2008
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4 comments:
उमा भाई , सुना था ,दुध नकली,दवा नकली ,खाने बाले मसाले नकली,ड्रां नकली,ओर पता नहि कया कया नकली मिलता हे ओर आज सुन कर चकरा गये आप भी नकली यानि उमांशकंर सिंह भी नकली ,लेकिन भाई यह टिपण्णी बिलकुल असली हे.
टिपण्णी तो अपन की भी बिलकुल असली है.
पर कोई असली इनाम विनाम भी तो घोषित कीजिये इए नकली उमाशंकर जी को धरवाने का.
चिंता ना करे.
उम्मीद है सभी ब्लोग्गर आपका साथ देंगे.
मामूली बातों से परेशान न हों मित्र ।
Don't worry friend jab uska PC haath lagega to sara data delete kar dunga..aur us duplicate ko aapke hawale kar dunga..I am with U!
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