Monday, March 31, 2008

अजय रोहिला का यूं चले जाना

आप में से कई अजय को जानते होंगे। एक सक्रिय ब्लॉगर और पाठक। सटीक टिप्पणीकार। अचानक पता चला कि होली के दिन वो हमारे बीच नहीं रहा। ब्रेन हैमरेज का शिकार हो गया। अजय से मैं कभी व्यक्तिगत तौर पर नहीं मिला। लेकिन अजय के बड़े भाई संजय रोहिला और मैंने जम्मू और कश्मीर में लंबा वक्त बिताया है। अजय अक्सर उन तस्वीरों के बारे में पूछा करता था जो हमने साथ खींचे थे। अब बस सिर्फ अफसोस है। इतनी कम उम्र में ऐसे जाना। पीछे अपनी पत्नी और गोद में एक छोटी बच्ची को छोड़ जाना। हिम्मत नहीं हो रही कुछ लिखने की। फिर भी लिख रहा हूं क्योंकि चाहता हूं कि हमारे बीच के एक शख्स को हम सभी याद करें।

हमारी श्रद्धांजलि!

9 comments:

अनिल रघुराज said...

अजय को श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और पत्नी को ढाढस, बच्ची को तो पता ही नहीं होगा कि पापा ड्यूटी पर गए या कहीं और...

Sanjeet Tripathi said...

श्रद्धांजलि उन्हें!!
उपरवाला उनकी आत्मा को शांति दे!!

उन्मुक्त said...

दुख लगा, भगवान उनके परिवार को शान्ति दे।

अनूप शुक्ल said...

बहुत दुखद। मेरी संवेदनायें।

azdak said...

बड़े दुख की बात है, भई..

नितिन | Nitin Vyas said...

श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे ।

Uday Prakash said...

ओह! यह कैसे हुआ ? यह खबर स्तब्ध करने वाली है. इस पर विश्वास अभी भी नहीं हो रहा है. होली पर अजय का भेजा एस.एम.एस. मेरे मोबाइल पर अभी तक है. वह अभी २ महीने पहले ही मिलकर गया था. राजस्थान की एक शूटिंग मे हम २५ दिन साथ थे. उसने विजयदान देथा की कहानियों पर बनी एक फ़िल्म में कमाल का अभिनय किया.
ईश्वर उसके परिवार को संबल और ढाढस दे.

Priyankar said...

विश्वास नहीं हो रहा है . क्या सच में ....

डा. अमर कुमार said...

एक असमय मृत्यु,
जो हम सब को विचलित करती है,
किंतु ऎसी मृत्यु के पश्चात परिवारजनों, विशेषकर
पत्नी का नित घुट घुट कर शेष होते जाना , अधिक
कष्टदायी है । दिवंगत की आत्मा के शांति के लिये
प्रार्थना एवं परिजनों को इस घुटन पर विजय पाने
की शक्ति की कामनायें प्रेषित हो । ॐ शांतिः