नीरज गुप्ता को आप में से कई जानते होगें। अरे वही 'वारदात' आजतक वाले... जो बाद में आईबीएन सेवेन में 'क्राईम द किलर' करने लगे। वे जब कैमरे के सामने होते हैं तो सुंदर दिखते हैं। पर जब कैमरे के पीछे होते हैं तो ज़्यादा सुंदर दिखाते हैं। अगर हम और आप दुनिया की कई चीज़ों को उतनी खूबसूरती के साथ नहीं देख पा रहे जितनी कि देखनी चाहिए... तो इसके पीछे एक बड़ी वजह ये है कि नीरज रिपोर्टर बन गए। अगर वे पेशे के तौर फोटोग्राफी कर रहे होते तो शायद बात कुछ और होती। लेकिन अपने व्यस्त क्षणों में भी लंबी छुट्टी लेकर वे कभी एशिया तो कभी मलेशिया घूम आते हैं। यादों के लम्हों की कुछ तस्वीरें ले आते हैं। कभी मोबाईल कैमरे से खींची तो कभी दूसरे कैमरे से। उनकी खींची कुछेक तस्वीर हाथ लगी है। आपकी नज़र कर रहा हूं। दिलचस्प बात ये है कि ये तस्वीरें किराए के कैमरे से खींची गईं हैं।लद्दाख में इसी तरह की खूबसूरती है। एकबार जाने पर लौट कर आने की इच्छा नहीं होती।
लेह से क़रीब डेढ़ सौ किमी दूर पैगॅाग त्सो। 14,500 फीट की उंचाई पर खारे पानी का झील
सिंधु नदी जिसके किनारे आर्य सभ्यता का जन्म हुआ।
8 comments:
बढ़िया तस्वीरें है. रियल साईज में इन्लार्ज हो पाती तो और डिटेल्स दिखते. बधाई इस पेशकश के लिये आपको और नीरज भाई को.
दिलचस्प बात ये है कि ये तस्वीरें किराए के कैमरे से खींची गईं हैं।
उमाशंकर जी, कैमरा तो कैमरा होता है, चाहे अपना हो या किराए का। skill तो व्यक्ति का अपना होता ही है!! बहुत बढ़िया तस्वीरें हैं, दूसरी वाली मुझे सबसे अधिक अच्छी लगी। :)
मेरी भी हार्दिक इच्छा है कि जल्द ही लद्दाख घूम आउँ(कम से कम एक बार) और ऐसे मनमोहक दृश्य अपने कैमरे में कैद कर लाउँ। वहाँ कोई 17-18 हज़ार फीट की उँचाई पर एक नमक का रेगिस्तान भी है!! :)
सुन्दर फोटो है।
अमित बाबू, किराए के कैमरे से... कहने से मेरा मतलब है बिल्कुल साफ है। जब आप एक कैमरे को हमेशा इस्तेमाल कर रहे होते हो तो आपको पता होता है कि कैमरे का रिजल्ट कैसा है...हैंडलिंग कैसे करनी है। लेकिन जब आप किराए पर कैमरा लेते हो तो कुछ भी पता नहीं होता कि कैसा रिजल्ट देगा। कई कैमरों की फ्रेमिंग भी अलग अलग होती है। इन सब के बावजूद नीरज ने बढिया फ्रेमिंग की, एपरचर इटीसी सेट किया और बिना लाईट मीटर के ऐसा पोस्टर पिक्टर दिया....
धन्यवाद
तारीफ से बड़ा कोई तोहफा नहीं होता... और ये तोहफा बांटने में उमा, तुम्हारा जवाब नहीं...
तस्वीरों को अपने ब्लॉग पर जगह देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया... और तस्वीरें सराहने वाले तमाम लोगों को और भी ज्यादा शुक्रिया..
शानदार!! दूसरी तस्वीर तो गज़ब!!
शुक्रिया आपको और नीरज भाई को बधाई इन शानदार तस्वीरों को खींचने के लिए!!
नीरज गुप्ता मेरे भी मित्र रहे हैं। इनकी उंगली पकड़ कर हमने भी दिल्ली की क्राइम बीट की है। मगर ये चोर बदमाशों के मामले में हम सबको बीट कर गए। अब तस्वीरों के मामले में भी आगे निकल गए।
अक्सर मार काट करते करते मन संवदेनशील हो जाता होगा। क्या पता नीरज को इन्हीं तस्वीरों से कुछ भरोसा मिलता होगा। कहीं कुछ सुंदर भी है। बिना साज़िश और छल कपट के।
अच्छे लोगों से दोस्ती का ये सबसे बड़ा फायदा है.. वो जब-तब.. जहां- तहां उम्मीदों से ज्यादा आपकी तारीफ कर देते हैं..
रवीश..
मैं आपको किसी बीट पर कभी बीट नहीं कर पाया.. हां.. ऐसा कर पाने की तमन्ना लगातार ज़िंदा है.. तस्वीरों पर आपकी खूबसूरत टिप्पणी से एक चर्चित विलेन का पुराना इंटरव्यू याद आ गया.. उससे किसी पत्रकार ने पूछा कि फिल्में में आपके खतरनाक और छिछले रोल देखकर क्या आपके परिवारवालों या यार दोस्तों को आपसे डर नहीं लगता.. तो उसने जवाब दिया- वो सब जानते हैं कि मैं अपने भीतर की तमाम साज़िश, छल-कपट.. अपने भीतर का बलात्कारी.. कातिल.. शैतान... पर्दे पर अपनी भूमिकाओं में निकाल देता हूं.. इसलिए असल ज़िंदगी में मैं बेहद मासूम, ईमानदार और निश्छल होता हूं..
कुछ इसी तरह असल ज़िंदगी में थोड़ा अलग हटकर.. काम से दूर.. छुट्टियों में माईक की बजाए कैमरा हाथ में लिए ज़िंदगी के खूबसूरत लम्हों को तस्वीर की शक्ल में कैद करने का मेरा शौक पुराना है.. लेकिन ये आप जैसों की तारीफ भी दिला देगा ये अंदाज़ा नहीं था.. अब इस शौक को और ज्यादा पालने का मन करेगा..
एक बार फिर शुक्रिया..
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