Monday, September 1, 2008

हमारा बिगड़ा मुकद्दर है... क्या किया जाए

बिहार का मंज़र

हमारा बिगड़ा मुकद्दर है
क्या किया जाए
हमारे घर में समंदर है
क्या किया जाए
है भूख प्यास की शिद्दत
हमारे चेहरों पे
ये अब बिहार का मंज़र है
क्या किया जाए!

-तहसीन मुनव्वर

5 comments:

जितेन्द़ भगत said...

इतनी बेबसी है हर जगह। आपने सही व्‍यक्‍त कि‍या।

Anil Pusadkar said...

sach hai

कुमार आलोक said...

बहुत खूब अच्छा लगा महोदय...मुकद्दर बिगाडने वालों का भला नही होगा...ये बाढ की आपदा नही है बल्कि जानबूझकर एक बडी आबादी को डूंबोने और उनके हाल पर छोड देने की दास्तान है ...ऐसे ही अपने कलम कीधार को मजबूत रखिये ..बहुत बहुत धन्यवाद

Anonymous said...

खुशखबरी तो डालों ब्लॉग पर। 15 दिन की छुट्टी दफ्तर से है ब्लॉग से थोड़े ही है।
कई ताऊ जी

Anonymous said...

सर जी, रविवार डाड काम में अपका पता देख कर यहां आंया. बहुत अच्छा लिखा है आपने. आदमी कितना बेबस होता है, यह देख कर मन रोने-रोने को होगाया. आप लिखतें रहें, येही कामना है.