पाकिस्तान उस इलाक़े का दौरा जहां तालिबान नें जड़ें जमायीं...
अभी कुछ घंटे पहले पाकिस्तान से लौटा हूं। यूं तो ये मेरा चौथा दौरा था लेकिन कई लिहाज़ से ये अद्वितीय था। बाजौर के उस इलाक़े में जाना जो हाल तक तालिबान ने अपना गढ़ बना रखा हो...
मैं,
उलझा हुआ सांसारिक कर्म रीति में,
बंधा हुआ अपनी ही नियति में,
जीवन के कटु सत्यों से दो चार हो कर भी,
अनभिज्ञ,
दिशाहीन, निष्प्रयोजित पथ पर चलता,
सिर्फ कल
और कल पर विचारता,
शब्द माध्यम द्वारा
मुक्ति हेतु,
सोचता,
उद्विग्न खड़ा,
मैं...
3 comments:
थोड़ा विस्तार से वृतांत सुनायें..जब समय मिले.
कैसे हैं उमा भाई। पाक यात्रा के बारे में कुछ और लिखें। वहां अभी जाना तो नहीं हुआ मगर जानने की इच्छा जरूर होती है वहां के बारे में।
pak ki yatra kabhi nahi ki , lekin koi apna vaha ke bare me sunata hai to achha lagta hai
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