tag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post3623070448354997107..comments2023-10-14T18:17:14.543+05:30Comments on Valley of Truth: हिन्दी टीवी पत्रकारिता और पाकिस्तान में फ़र्क हैउमाशंकर सिंहhttp://www.blogger.com/profile/17580430696821338879noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-88561486042712931322007-07-26T18:28:00.000+05:302007-07-26T18:28:00.000+05:30मुझे तो लगता है कि जो चिंतित हैं कहीं टीवी से निका...मुझे तो लगता है कि जो चिंतित हैं कहीं टीवी से निकाल न दिए जाए। बदलेगा उमा जी। पत्रकारों पर भरोसा रखिए। जो भी पत्रकार है चाहता है कि खबरों की दुनिया हो। जो नहीं है उसके बारे में हम आप कह ही रहे हैं। लेकिन पत्रकारिता को भी बदलना होगा तभी वह भूत प्रेत सावंत खबरों की विकल्प बनेगी। उसे अपने ढर्रे को बदल कर और खबर को नए सिरे से पकड़ कर कुछ नया दिखाना होगा। मशाल उठायेravishndtvhttps://www.blogger.com/profile/02492102662853444219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-45179608690814071622007-07-26T18:18:00.000+05:302007-07-26T18:18:00.000+05:30सभी चैनलों के पत्रकार अलग-अलग अच्छा सोचते हैं। लेक...सभी चैनलों के पत्रकार अलग-अलग अच्छा सोचते हैं। लेकिन उनका कलेक्टिल प्रोडक्ट भुतहा हो जाता है। क्या ये सिर्फ टीआरपी का दवाब है या असुरक्षा से ग्रस्ट लीडरशिप की संकरी गली।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-38999596288548822252007-07-26T14:15:00.000+05:302007-07-26T14:15:00.000+05:30दिलीप की बात अपनी जगह बिल्कुल सही है. लेकिन उन्होन...दिलीप की बात अपनी जगह बिल्कुल सही है. लेकिन उन्होने स्थितियाँ सुधारने के प्रति कहीँ हताशा व्यक्त नहीं की है. उन्होने केवल दुराग्रहों और नोस्टालजिया से मुक्त होकर सच को देखने का आग्रह भर किया है. आपका भी आग्रह यही है कि इन स्थितियों से उबारा कैसे जाए, यह सोचना चाहिए. मुझे लगता है कि इसका रास्ता अतीत के वस्तुगत अवलोकन और हमारे समसामयिक यथार्थ की समझ के बीच से होकर गुजरेगा और वह हमें ही विकसित करनी होगी.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.com