tag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post2459699517883757464..comments2023-10-14T18:17:14.543+05:30Comments on Valley of Truth: छक्कों पर करोड़ों लुटाने वालों, शहीदों को भी देखो!उमाशंकर सिंहhttp://www.blogger.com/profile/17580430696821338879noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-80743130132743473132007-10-06T00:05:00.000+05:302007-10-06T00:05:00.000+05:30उमाशंकर जी, आपने बहुत सही बात को उठाया है। पहले तो...उमाशंकर जी, आपने बहुत सही बात को उठाया है। पहले तो नमन उन शहीदों को जिन्होंने देश और *देशवासियों* की सुरक्षा के हित में अपना जीवन भी बलिदान कर दिया। कितने ही और भी हैं, जो शहीद तो नहीँ हुए पर वे जानते हैं कि उनका जीवन सदा ही दाँव पर लगा है। यह खतरा जानते हुए भी वे अपने कर्त्तव्यों के लिये प्रतिबद्ध रहते हैं। <BR/>अब दो बाते हैं, पहली यह कि जन सामान्य तक यह सूचना या समाचार कौन पहुँचाये और कैसे उसका प्रस्तुतिकरण करे। चौकों और छक्कों के समाचार और खेल को तो पूरी तरह से मनोरंजक रूप से, जीवंत प्रसारण, विश्लेषणों के साथ, चर्चा के साथ प्रस्तुत किया जाता है, वाणिज्यिक प्रलोभन भी होते हैं - खिलाड़ियों कि लिये भी, प्रस्तोताओं के लिये भी और साथ ही दर्शकों (उपभोक्ताओं) के लिये भी। अब वीर शहीदों को तो कोई स्पॉन्सर नहीँ करता, कोई अन्य खिलाड़ी अथवा लोकप्रिय अभिनेता अथवा आकर्षक अभिनेत्री भी आये दिन उनका महिमा मंडन नहीं करते अथवा उनके द्वारा देश के प्रति दी गयी कुर्बानी से अपने आप को उपकृत नहीँ दर्शाते (किसी विशेष काल खंड को छोड़ कर) तो हम सामान्य दर्शक उन वीरों को भुला देते हैं।<BR/> <BR/>दूसरी और जन सामन्य भी कम दोषी नहीँ है - जो उनके बलिदान के महत्व को समझते तो हैं, परन्तु उन्हें सहज रूप में याद नहीँ रख पाते। जिन व्यक्तियों के जीवन पर इनका प्रभाव पड़ता है, चाहे वे सुरक्षा बलों के द्वारा सुरक्षित नागरिक हों अथवा उनके परिवारीजन, वे सदा ही याद रखते होंगे उनके इन बलिदानों को। सामान्य जन तो उस ग्लैमर युक्त मीडिया के चकाचौंध भरे, आकर्षक सामग्री के आगे सोच ही नहीँ पाते। यह विडंबना ही है कि जो लोग उन्हें भुला देते है, अथवा उनके बलिदान को महत्व नहीं देते, ध्यान नहीँ देते, ये वही देशवासी होते हैं जिनकी सुरक्षा में उन्होंने अपने प्राणों को *नित्य* ही दाँव पर लगा रखा है - न केवल यह बल्कि वे वीर स्वयं भी इस विडंबना के सत्य से बखूबी वाकिफ़ होते हैं। ज़रा देखिये उनकी महानता!Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-13916283158802327512007-10-05T21:38:00.000+05:302007-10-05T21:38:00.000+05:30उमाजी आज का दिन हैदराबाद के लिये बहुत बुरा था लोग...उमाजी <BR/>आज का दिन हैदराबाद के लिये बहुत बुरा था लोग दुखी थे, जम कर कोस रहे थे, .... किन्हें आपको पता ही होगा। स्थानीय राजीव गांधी स्टेडियम में हार रहे भारतीय टीम के खिलाड़ियों को।<BR/>और दूसरी तरफ शहीद मेजर के पी विनय का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो रहा था। टीवी पर क्रिकेट छाया हुआ था, शहीद नहीं। <BR/>मेजर विनय का इसी महीने विवाह होना तय हुआ था, और उनकी छुट्टियाँ भी मंजूर हो गई थी, उससे पहले ही ...<BR/>शहीदों का नमनSagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-77355334110737846512007-10-05T18:32:00.000+05:302007-10-05T18:32:00.000+05:30देश के इन वीर सपूतों को हमारी श्रद्धांजलि!!!देश के इन वीर सपूतों को हमारी श्रद्धांजलि!!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-87440939873423539802007-10-05T14:54:00.000+05:302007-10-05T14:54:00.000+05:30कौन शहीद भाई ? लगता नहीं आपको किरकिट का कुछ पता है...कौन शहीद भाई ? <BR/><BR/>लगता नहीं आपको किरकिट का कुछ पता है, यहाँ जो इनाम न दे वो देशद्रोही होता है. इतना महत्त्व है क्रिकेट का. <BR/><BR/>बजार में उग्रपंथियों के जान की भी एक कीमत है. देखा नहीं कितनो की रोजी इनकी मौत पर आसूँ बहा कर चलती है? <BR/><BR/>सैनिको की मौत से क्या मिलेगा?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-63377521579499166292007-10-05T14:00:00.000+05:302007-10-05T14:00:00.000+05:30हम कैसे आपका साथ दें सकते है कृप्या बतलाईये।हम कैसे आपका साथ दें सकते है कृप्या बतलाईये।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-45665190429217007052007-10-05T12:49:00.000+05:302007-10-05T12:49:00.000+05:30नमन ऐसे सपूतों को!!यही तो है देश के असली हीरो!!यह ...नमन ऐसे सपूतों को!!<BR/>यही तो है देश के असली हीरो!!<BR/><BR/>यह आपका कहना सही है कि हम देखते है तभी मीडिया मैदानी छक्कों को दिखाता है। बतौर उदाहरण कभी किसी खेल चैनल का प्रसारण किसी प्रतियोगिता के दौरान किसी शहर मे रुक जाए तो लोग वहां के केबल ऑपरेटर के खिलाफ़ एकजुट हो जाते हैं। ऐसी एकजुटता तो घटिया राजनीति या मूलभूत सुविधाएं हासिल करने के लिए भी कई बार नही दिखती!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-19791821770936011432007-10-05T12:07:00.000+05:302007-10-05T12:07:00.000+05:30जिस देश की पूरी व्यवस्था ही छक्कों के हाथ में हो, ...जिस देश की पूरी व्यवस्था ही छक्कों के हाथ में हो, वहाँ और क्या होगा उमाशंकर भाई?इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-87342394357701910402007-10-05T11:28:00.000+05:302007-10-05T11:28:00.000+05:30आपके तेवर जायज़ हैं। वैसे क्रिकेट जैसे खेल को सिर्...आपके तेवर जायज़ हैं। वैसे क्रिकेट जैसे खेल को सिर्फ मीडिया ने नहीं बढ़ाया। खेल प्रेम के नाम पर उपभोक्ता दर्शकों ने ही बढ़ाया है। आप देखते हैं तो मीडिया में आता है और नेता भुनाता है। अपने टाईम में कश्मीर के एनकाउंटर के सैंकड़ों लाईव कवरेज दिखाए गए हैं। कई मौक़ो पर मैं खुद मौजूद रहा। लेकिन पल भर ठिठक कर देखने के बाद लोग आगे बढ़ गए। मैदान में छक्कों की ताताथैय्या दिल थाम कर लोग देखते हैं। <BR/>फिर भी पत्रकारों को आपकी ललकार बेतुकी नहीं। पर अकेला चना भांड़ नहीं फोड़ता। आपके साथ की ज़रुरत है। <BR/>शुक्रियाउमाशंकर सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17580430696821338879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-40775664090837802692007-10-05T11:13:00.000+05:302007-10-05T11:13:00.000+05:30भाई, छक्कों को भीड़ देखती है, लोकतंत्र में भीड़ ही...भाई, छक्कों को भीड़ देखती है, लोकतंत्र में भीड़ ही वोटबैंक है, भीड़ ही उपभोक्ता है। जाहिर है करोड़ों उसी के लिए लुटाए जा रहे हैं। <BR/><BR/>देश के लिए सीने पर गोली खाने वालों को कौन भीड़ देखती है, उससे कौन सा वोट बैंक बनता है, कौन सा बाजार मिलता है, आखिर क्यों कोई जवानों की सुध लेगा। <BR/><BR/>सेना और पुलिस के जवानों और निचले स्तर के अधिकारियों में अधिकांशत: गरीब घरों के बेटे हैं, उनकी जान कौन-सी कीमती है कि उन पर करोड़ों लुटाए जाएंगे? <BR/><BR/>आप पत्रकार लोग क्रिकेट के बजाय बहादुरी के साथ सीने पर गोली खाते सैनिकों का लाइव टेलीकास्ट करने का हौसला दिखलाइए न, देखिए कितना बड़ा वोटबैंक बनता है और कैसे नेता लोग लाइन लगाकर लाखों-करोड़ों देने आते हैं। लेकिन आप लोग तो इतना भी करने को तैयार नहीं होते कि यदि किसी शहीद के परिवार की सहायता के लिए कोई सरकारी घोषणा हुई हो और उस पर प्रशासन द्वारा अमल नहीं किया जा रहा हो तो ऐसे मामलों की तत्परतापूर्वक पड़ताल करके मीडिया में हाईलाइट कर सकें और सरकार पर अपना वादा पूरा करने के लिए दबाव बना सकें।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.com