tag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post2392056242875480156..comments2023-10-14T18:17:14.543+05:30Comments on Valley of Truth: आओ 'लाईन' मारते हैं...रंगत बदल बदल करउमाशंकर सिंहhttp://www.blogger.com/profile/17580430696821338879noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-9600676521240009282007-07-14T16:18:00.000+05:302007-07-14T16:18:00.000+05:30Uma shankar ji,sab rang badal badal kar apni apni...Uma shankar ji,<BR/><BR/><BR/><BR/>sab rang badal badal kar apni apni dukaan chalane mein lage hue hain,janta ki parwaah kise hai?Pushpa Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06591034409180694068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-21691790114099434622007-07-12T08:31:00.000+05:302007-07-12T08:31:00.000+05:30किसी ना किसी रंग में ये 'लाईनें' चलती रहेंगी...मरे...किसी ना किसी रंग में ये 'लाईनें' चलती रहेंगी...मरेंगी नहीं... दिल्ली की जनता बेशक सड़कों पर मरती रहेंगी।<BR/><BR/>सही और सटीक वर्णन ।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-26269404494283274132007-07-11T19:31:00.000+05:302007-07-11T19:31:00.000+05:30दीपु बूला क्या बात है। लाईन मारों भई। रंग बदला न र...दीपु बूला क्या बात है। लाईन मारों भई। रंग बदला न रंगत। अच्छा लेख।ravishndtvhttps://www.blogger.com/profile/02492102662853444219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-75272668826342080472007-07-11T19:01:00.000+05:302007-07-11T19:01:00.000+05:30लोकतंत्र ऎसे ही चलता है जी जहां जनता गलत को पहचान ...लोकतंत्र ऎसे ही चलता है जी जहां जनता गलत को पहचान ले वहां रंग बदल दो जनता भुलावे में आ ही जाएगी कुछ समय के लिए तो बाकी का बाद में देखा जाएगा ! क्या करें हम लोकतंत्र के निवासी हैं ही इतने भले और भोले रंगो के बहकावे में आऎगे नहीं तो जाऎगे कहांNeelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-35943980458503798952007-07-11T18:15:00.000+05:302007-07-11T18:15:00.000+05:30बहुत सही उमा भाई!!इष्ट देव जी आपका कथन सत्य है, कर...बहुत सही उमा भाई!!<BR/><BR/>इष्ट देव जी आपका कथन सत्य है, करीब-करीब हर राज्य में यही आलम है। किस चीज और किस धंधे में दखल नही है इन नेताओं का सब जगह, बस-ट्रक, खान-खदान, ठेकेदारी-निर्माण कार्य! <BR/>एक कफ़न बेचना छोड़कर बाकी सब धंधे करते है यह छुटभैय्ये नेता!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5235000792645820594.post-29869833027957077622007-07-11T16:49:00.000+05:302007-07-11T16:49:00.000+05:30असल में बात केवल ड्राइवर-कंडक्टर तक सीमित नहीं है ...असल में बात केवल ड्राइवर-कंडक्टर तक सीमित नहीं है मित्र. अगर जांच कराई जाए तो आधी से अधिक बसें स्थानीय नेताओं की हैं और बाक़ी बची पुलिस वालों की. यह अलग बात है कि उनका रजिस्ट्रेशन किसी और के नाम से हो. जब तक यह फर्जी बैनामागिरी और उसका आतंक नहीं जाएगा तब तक कुछ होने वाला नहीं है.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.com